गूगल एक ऐसा सर्च इंजन है जो की वर्ल्ड वाइड सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। जब भी हमें किसी टॉपिक से संबंधित कुछ जानकारी चाहिए होती है तो हम उसे गूगल कर लेते हैं। परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जोकि गूगल को हैक कैसे करें (Google Ko Hack Kaise Kare?) यह जानना चाहते हैं। लेकिन क्या वाकई में ऐसा संभव है वहीं इस लेख में आपको विस्तार से बताएंगे। गूगल हैकिंग या गूगल डॉर्किंग के बारे में डिटेल में जानेंगे कि आख़िर यह क्या होता है और कैसे काम करता है?
गूगल हैकिंग क्या है?
कई लोग गूगल हैकिंग को गूगल के सर्वर से छेड़छाड़ करना समझते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही है और वास्तव में गूगल हैकिंग एडवांस्ड तरीके से गूगल सर्च इंजन का प्रयोग करना है। दरअसल कई सारी ऐसी इनफॉर्मेशन है जोकि सामान्य लोगों से गूगल दूर रखता है। वहीं वह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती हैं वहीं जिसे सुरक्षा की वजह से गूगल द्वारा छुपा कर भी रखा जाता है। इसको ही गूगल डॉर्किंग (Google Dorking) भी कहा जाता है। इसके इस्तेमाल से सर्च इंजन का इस्तेमाल करके संवेदनशील जानकारी निकाली जाती है। जैसे कि सुरक्षा, निजी दस्तावेज़ तथा वेबसाइटों की कमजोरियाँ क्या है।
हालांकि इसका प्रयोग मुख्य रूप से तकनीकी साइबर सुरक्षा में किया जा सकता है। और इससे वेबसाइट को और ज्यादा सुरक्षा भी प्रोवाइड करवाई जा सकती है। हालांकि गूगल हैकिंग का इस्तेमाल अवैध रूप से नहीं किया जा सकता है। साथ ही यह साइबर क्राइम की श्रेणी में भी आता है। तो अगर आप गूगल हैकिंग का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
Google Ko Hack Kaise Kare? या गूगल हैकिंग (Google Dorking) काम कैसे करता है?
गूगल हैकिंग में यूजर द्वारा सर्च करने के लिए विशेष कमांड दी जाती है। ताकि किसी भी संवेदनशील जानकारी को आसानी से निकाला जाए। इस दौरान प्रयोग होने वाली कमांड कुछ इस तरह से होती है।
1. “Filetype”
इसका प्रयोग करके यूजर द्वारा पर्टिकुलर फाइल खोज कर के निकाली जाती है। और इससे किसी भी फाइल को निकालने में सिर्फ उतना ही समय लगता है जितना की किसी टॉपिक को सर्च करने में लगता है। उदाहरण के लिए filetype: pdf जिसके प्रयोग से आप किसी टॉपिक से रिलेटेड मोजूद इंटरनेट पर पीडीएफ फाइल को एक क्लिक में खोज पाएंगे। फिर आप उसे डाउनलोड भी आसनी से कर सकते हैं।
2. “Intitle”
इसका प्रयोग करके आप टारगेट कीवर्ड से संबंधित रिसर्च कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपको क्लाइमेट से रिलेटेड सर्च करना है। तो ऐसे में आप Intitle: index of climate change सर्च कर सकते हैं। जिससे गूगल द्वारा इंडेक्स की गई क्लाइमेट चेंज से जुड़ी सभी जानकारी आपको दिख जायेगी।
3. “Inurl”
इसका प्रयोग आप यूआरएल में मोजूद कुछ विशेष शब्दों को खोजने के लिए कर सकते हैं। जोकि आपके सर्च को और ज्यादा आसान और इफेक्टिव बना देता है। उदाहरण के लिए inurl: report 2024 जिससे आप किसी रिपोर्ट 2024 से जुड़े हुए सभी रिजल्ट को आसानी से देख पाएंगे।
4. “Insite”
इस सर्च ऑपरेटर का इस्तेमाल करके आप किसी वेबसाइट पर मोजूद विशेष जानकारी ढूंढ सकते हैं। उदहारण के लिए insite:nytimes.com/ “AI News” जिसके बाद आप New York Times वेबसाइट पर सिर्फ AI News से जुड़े पोस्ट आसानी से देख सकते हैं।
5. “cache”
इस ऑपरेटर का इस्तेमाल करके आप किसी पर्टिकुलर वेबसाइट के बारे में यह पता कर पाएंगे, कि उस वेबसाइट पर गूगल के Crawler ने लास्ट टाइम कब और कितने बजे Crawl किया था। अर्थात गूगल के Bots कब उस वेबसाइट पर आए थे। और इसके इस्तेमाल से किसी वेबसाइट को गूगल द्वारा बैन किया गया है या नहीं! यह भी मालूम किया जा सकता है।
बस आपको cache:example.com सर्च करना है फिर गूगल पर आपको उस वेबसाइट का कैश वर्शन दिख जाएगा जिससे आप उस वेबसाइट के डाउन होने पर भी उसको एक्सेस कर पाओगे और साथ ही वो वेबसाइट पहले कैसे दिखती थी यह भी पता कर पाओगे।
ये कुछ पॉपुलर सर्च ऑपरेटर हैं जोकि गूगल हैकिंग में काम आते हैं। जिनका प्रयोग करने का इंटरनेट मास्टर बन सकते हैं। और सामने वाले व्यक्ति को गूगल हैकिंग के इन तरीकों से चौंका भी सकते हैं।
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गूगल डार्किंग (Google Hacking) के फायदे तथा नुकसान
जहां गूगल डॉर्किंग एथिकल हैकिंग के हिसाब से फायदेमंद है तो वहीं दूसरी और उसके कुछ नुकसान भी हैं। जोकि आपको पता होने जरूरी है:
फायदे
1. साइबर सुरक्षा परीक्षण: इसका प्रयोग करके एथिकल हैकर्स किसी भी वेबसाइट की कमजोरी इत्यादि का पता लगा सकते हैं। जिससे फिर उसे वेबसाइट को और अधिक सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। जोकि किसी बड़े साइबर अटैक से वेबसाइट या सर्च इंजन को बचाने में मदद करता है।
2. डाटा रिकवरी में मदद: गूगल डॉर्किंग में इस्तेमाल किए जाने वाले सर्च ऑपरेटर से विशेष प्रकार की जानकारी रिकवर की जा सकती है। जो की डिलीट हो चुकी है या फिर इंटरनेट पर कहीं खो चुकी है। उसे इन ऑपरेटर की मदद से आसानी से खोजा जा सकता है। इस तरह से यह डाटा रिकवरी में काफी ज्यादा मददगार साबित हो सकती है।
नुकसान
1. साइबर अपराध: अगर इसका प्रयोग गलत तरीके से किया जाए तो यह एक साइबर अपराध हो सकता है। जो कि आपको कानूनी घेरे में डाल सकता है। इसलिए इसका प्रयोग सिर्फ एथिकल रूप से किया जाए तो अच्छा है। और किसी कॉन्फिडेंशियल जानकारी को लीक करना भी आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
2. गोपनीयता का उल्लंघन: जब भी इसकी मदद से कोई जानकारी खोजी जाती है तो वह काफी ज्यादा कॉन्फिडेंशियल हो सकती है। और उस जानकारी का अन्य लोगों तक या सामान्य लोगों तक पहुंचना सही नहीं है। यही वजह है कि गूगल डॉर्किंग गोपनीयता का उल्लंघन भी कर सकती है।
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गूगल हैकिंग से बचाव के लिए कुछ स्पेशल टिप्स
- गूगल डॉर्किंग से बचाव के लिए आपको सबसे पहले सेंसेटिव डाटा को इनक्रिप्ट करके डेटाबेस में रख लेना है। जैसे की किसी का पासवर्ड, यूजरनेम, प्रोफाइल इनफॉर्मेशन इत्यादि। ताकि अगर कोई डॉर्किंग का इस्तेमाल करके उसे खोज भी लें तो उपयोग न की जा सके।
- ऐसे में आप Robot.txt का इस्तेमाल करके सेंसटिव पेज और इनफॉर्मेशन को इंडेक्स करने से रोक सकते हैं। जिसके बाद गूगल बोट उन स्पेसिफिक पेज को Crawl या रैंक नहीं करेगा।
- अपने डेटाबेस को हमेशा एक मजबूत पासवर्ड लगा कर रखें। और इसके साथ साथ सर्वर सेटिंग को भी सुरक्षित रखें।
- सर्वर पर मोजूद पब्लिकली फाइल से बचाव करें।
- इसके अलावा हमेशा एक सेफ यूआरएल स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करें। विशेष रूप से अपने कॉन्फिडेंशियल डाटा को।
- अगर आपने गलती से कोई संवेदनशील यूआरएल को रैंकिंग के लिए अलाव किया है तो आप उसे गूगल सर्च कंसोल में जाकर रिमूव कर सकते हैं।
- सिस्टम लॉग्स और डिबगिंग डेटा की समय-समय पर क्लियर करते रहें।
- हमेशा एक मजबूत पासवर्ड तथा मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन को इनेबल रखें।
- अपनी वेबसाइट में नो इंडेक्स टैग का इस्तेमाल करें।
आशा करता हूँ की गूगल हैकिंग या गूगल डार्किंग की पूरी जानकारी अब आपको मिल गई होगी, और आपके सवाल गूगल को हैक कैसे करें (Google Ko Hack Kaise Kare?) का जवाब भी आपको इस पोस्ट में मिल गया होगा। अगर अभी भी आपका कोई सवाल वाकी है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हो।
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