पुलिस के कॉल निकालने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, हो सकता है की आपके ख़िलाफ़ कोई मुक़दमा या FIR किया गया हो। आजके इस पोस्ट में हम पुलिस के कॉल डिटेल निकालने की वजह और उसका पूरा प्रोसेस समझिंगे।
आख़िर पुलिस कॉल डिटेल कैसे निकालती है?
1. सबसे पहले पुलिस को किसी भी नंबर की कॉल डिटेल निकालने के लिए उस मोबाइल नंबर की टेलीकॉम कम्पनी से लिंक करना पड़ता है।
2. फिर पुलिस कॉल डिटेल की सारी इन्फॉर्मेशन को टेलीकॉम कंपनियों जैसे की एयरटेल, जियो, VI BSNL इत्यादि से संपर्क करती है।
3. अब CDR के माध्यम से टेलीकॉम कंपनियों को उस व्यक्ति की पूर्ण कॉल डिटेल्स देनी पड़ती है। हालांकि टेलीकॉम कंपनियां भी पहले FIR या फिर अन्य Proof पुलिस से लेती है। तभी वह आपकी कॉल डिटेल्स पुलिस को प्रोवाइड करवाती है।
4. अब पुलिस आसानी से आपकी पूर्ण कॉल डिटेल्स को आसानी से आइडेंटिफाई कर सकते हैं।
CDR क्या होता है?
CDR का पूरा नाम कॉल रिकॉर्ड डिटेल कहा जाता है। CDR यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड किसी भी मोबाइल नंबर का एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसमे उस मोबाईल नंबर से किस व्यक्ति को कॉल किया, कितने समय तक बात की, क्या बात की, किस नंबर के ऊपर मैसेज किए गए ऐसी सारी जानकारी का विवरण होता है। इस CDR के माध्यम से ही टेलीकॉम प्रोवाइडर पुलिस को मोबाइल नंबर की सारी कॉल डिटेल्स प्रोवाइड करवाता हैं।
पुलिस कही भी किसी भी मोबाइल नम्बर की कॉल डिटेल ऐसे ही नही निकाल सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ कोई FIR या मुकद्दमा दर्ज किया है, जिसके लिए पुलिस को कॉल डिटेल चाहिए तो ऐसी स्तिथी में पुलिस को सबसे पहले अदालत (Court) की अनुमति लेनी पड़ती है। यदि कोर्ट पुलिस को यह अनुमति देता है केवल तभी पुलिस उस व्यक्ति के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल निकाल सकते हैं।
पुलिस कितने दिन की कॉल डिटेल्स निकाल सकती है?
पुलिस के पास अपनी पूर्ण कॉल डिटेल्स निकालने का अधिकार होता है। वह आपकी Lifetime कॉल डिटेल्स को आसानी से CDR के माध्यम से निकाल सकती है। इसके साथ ही अगर किसी Case में कॉल डिटेल्स किसी Specific Time की चाहिए! तो भी पुलिस ऐसा कर सकती है।
परंतु पुलिस हमेशा किसी स्पेसिफिक समय की कॉल डिटेल्स निकालती है। ताकि इससे कॉल डिटेल्स को आसानी से ट्रैक और आइडेंटिफाई किया जा सके।
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